में ईष्वरीय सत्ता को पहले से मानता हूं। लेकिन हमारे बडे पापा के कुछ कहने उपरांत मैं भटक गया था और सांई पर जो मेरा अटूट विष्वास था वह टूट गया था मैने अपने पापा की और गुरूदेव की फोटो के स्थान भी आपस में चेंज कर दिये थे उसके कारण मेरे पुत्र हर्ष को ज्वाइंटिस, उसके हाथ का फ्रेक्चर, हाथ होली के दुसरे दिन जलना आदि ऐसी घटनाएं हुई कि मैं उसके बाद परेशान सा हो गया । उसके बाद फरवरी मार्च 2011 से मैं मेरी सासु मां के कहने से निर्मल बाबा से जुडा उसके पश्चात मेरा ईश्वरीय शक्ति पर पहले वाला विश्वास और दृढ हो गया और मैं समझ गया कि अब किसी के प्रति टिका टिप्पणी करना कितना तकलीफदेह है। हमारे निर्मल बाबाजी के अनुसार आप जिस शक्ति को मानते हो उस पर आपका अटूट विश्वास ही आपकी जीत है और आपकी सफलता का राज है उसमें संदेह होना ही आपकी गडबडी का कारण है । ईश्वर की सत्ता होने का अनुभव हर क्षण, हर पल, आपको बाबाजी की कृपा से होगा बस उसे महसूस करने की क्षमता और समझ आपमें होना चाहिए।